समग्र भारतीय ज्ञान संस्‍कृत भाषा में निहित है और यह विश्‍व की सबसे प्राचीन भाषा है। इसे देव वाणी भी कहा जाता है। सभी संस्‍कार संस्‍कृत भाषा से अनुबंधित हैं इसी परिपेक्ष्‍य में श्री पीताम्‍बरा पीठ न्‍यास मण्‍डल ने इस सिद्ध तपस्‍थली में संस्‍कृत एवं संस्‍कृति के संरक्षण एवं संवर्द्धन के लिए कृतसंकल्पित होकर संस्‍कृत महाविद्यालय की स्‍थापना की।

            दतिया जिले में दो संस्‍कृत विद्यालय पूर्व से ही संचालित हो रहे थे। (1) शासकीय संस्‍कृत विद्या पीठ (2) श्री पीताम्‍बरा संस्‍कृत विद्या पीठम्। लेकिन संस्‍कृत महाविद्यालय का अभाव था। इसी अभाव की पूर्ति करते हुए 2013 में म.प्र. उच्‍च शिक्षा विभाग से एन.ओ.सी. प्राप्‍त करते हुये वसंत पंचमी 2014 में श्री पीताम्‍बरा पीठ संस्‍कृम महाविद्यालय की स्‍थापना की गई।
 
            सत्र2014-15 से निरन्‍तर छात्र कल्‍याण की दृष्टि एवं उनके श्रानवर्द्धन के लिए यह महाविद्यालय कक्षायें संचालित कर रहा है। महाविद्यालय में सतत् ज्ञान रूपी गंगा प्रवाहित होती रहती है। महाविद्यालय में आचार्य(स्‍नात्‍तकोत्‍तर), शास्‍त्री(स्‍नातक), पौरोहित्‍य पाठ्यक्रम एवं शोध आदि की उपाधि प्रदान की जाती है। यह महाविद्यालय ‘महर्षि पाणिनि संस्‍कृत एवं वैदिक विश्‍वविद्यालय, उज्‍जैन’ से संबद्ध है।

            यहॉ संस्‍कृत साहित्‍य, व्‍याकरण, ज्‍योतिष, पौरोहित्‍य के साथ शासन द्वारा निर्धारित आधुनिक विषयों की भी शिक्षा दी जाती है। इस महाविद्यालय से ज्ञानार्जन कर छात्र कई प्रतिष्ठित्‍ शासकीय व निजी क्षेत्रों में कार्य करके समाज में अपना तथा महाविद्यालय का स्‍थान सुनहरे अक्षरों में सुनिश्‍चित कर रहे हैं।
 

दतिया जिला भारतीय राज्‍य मध्‍य प्रदेश में ग्‍वालियर संभाग में है। दतिया शहर जिला मुख्‍यालय है। यह एक प्राचीन शहर है, जिसका उल्‍लेख महाभारत में वर्णित है। शहर ग्‍वालियर से 75 किमी, नई दिल्‍ली से 400 किमी दक्षिण में और भोपाल से 320 किमी उत्‍तर में स्थित है। दतिया से लगभग 15 किमी सोनागिरि एक पवित्र जैन पहाडी है। दतिया, झांसी(उत्‍तर प्रदेश) से लगभग 30 किमी और ओरछा से 52 किमी दूर है। निकटतम हवाई अड्डा ग्‍वालियर में है। यह पूर्व ब्रिटिश राज के नाम से जाना जाने वाला रियासत का स्‍थान था। दतिया ग्‍वालियर के निकट और उत्‍तर प्रदेश के साथ सीमा पर स्थित है।  यह मध्‍यप्रदेश की सबसे पुरानी तहसील में से एक है।

पुराना शहर एक पत्‍थर की दीवार से घिरा हुआ है जिसमे खूबसूरत महल एवं उद्यान हैं। वीर सिंह  देव के 17 वीं शताब्‍दी का महल उत्‍तर भारत की हिंदू वास्‍तुकला का बेहतरीन उदाहरण है। दतिया के पास कई स्‍थल हैं और यह 1614 में राजा वीर सिंह देव द्वारा निर्मित सात मंजिला महल के लिए प्रसिद्ध है। यह शहर धार्मिक भक्‍तों के लिए एक संपन्‍न तीर्थ स्‍थान है। यहां कई मंदिर हैं, जिसमें पीताम्‍बरा देवी, धूमावती माई, गोलोकवासी श्री स्‍वामी जी महाराज समाधि स्‍थल, तारादेवी और गोपेश्‍वर मंदिर के सिद्धपीठ भी शामिल हैं। पीताम्‍बरा पीठ दतिया के प्रवेश द्वार पर स्थित एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ है। आज दतिया की पहचान पीताम्‍बरा नगरी के नाम से पूरे विश्‍व में बन चुकी है। यह शहर दिल्‍ली-मुम्‍बई की मुख्‍य रेलवे लाइर्न पर स्थित है।